Uttarakhand

अल्मोड़ा में आज से शुरू हुआ ऐतिहासिक नंदा देवी मेला, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी करेंगे उद्घाटन l

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अल्मोड़ा। सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था की प्रतीक नगरी अल्मोड़ा में आज से नंदा देवी मेले की शुरुआत हो रही है। यह मेला हर साल मां नंदा-सुनंदा की पूजा-अर्चना और पारंपरिक सांस्कृतिक आयोजनों के लिए जाना जाता है। 28 अगस्त से शुरू होकर 3 सितंबर तक चलने वाले इस मेले का उद्घाटन आज प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा किया जाएगा।

सांस्कृतिक आस्था से जुड़ा ऐतिहासिक मेला

नंदा देवी मेला न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह उत्तराखंड की लोकसंस्कृति, पारंपरिक लोकनृत्य और जनमानस की आस्था का भी प्रतीक है। नगर के प्रमुख मंदिरों को रंग-बिरंगी सजावट से सजाया गया है और मेले को लेकर नगर निगम व मंदिर समिति ने सभी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं।

सीएम धामी का आज अल्मोड़ा दौरा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज दोपहर आर्मी हैलीपैड के रास्ते अल्मोड़ा पहुंचेंगे। वे सर्किट हाउस में अल्प विश्राम के बाद नगर के मुख्य कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। वे सबसे पहले माल रोड पर स्थित पुनर्निर्मित मुंशी हरिप्रसाद टम्टा धर्मशाला और क्राफ्ट म्यूजियम का लोकार्पण करेंगे। इसके पश्चात मुख्यमंत्री पैदल मार्ग से नंदा देवी मंदिर प्रांगण में पहुँचकर मेले का विधिवत उद्घाटन करेंगे और आमजन को संबोधित भी करेंगे।

नशा मुक्ति केंद्र का भी करेंगे शुभारंभ

नंदा देवी मेला उद्घाटन के बाद मुख्यमंत्री सोबन सिंह जीना राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान (मेडिकल कॉलेज) में बनने जा रहे नशा मुक्ति केंद्र का उद्घाटन भी करेंगे। इसके पश्चात शाम को वह देहरादून के लिए रवाना होंगे।

स्कूलों की झांकी और सांस्कृतिक कार्यक्रम

मेले के शुभारंभ से पहले नगर के विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राएं पारंपरिक परिधान में सांस्कृतिक झांकियां निकालेंगे। शाम 6 बजे से नृत्य प्रतियोगिता का फाइनल आयोजन भी होगा।

उत्तराखंड की लोकसंस्कृति का रंग

मेले में उत्तराखंड के पारंपरिक नृत्य जैसे झोड़ा, चांचरी, भगनौल और छपेली का प्रदर्शन किया जाएगा। लोकगायक अपनी सुरमयी प्रस्तुतियों से समां बांधेंगे। महिलाओं की विशेष भागीदारी इस मेले की एक खास पहचान है।

कदली वृक्ष से बनेंगी नंदा-सुनंदा की मूर्तियां

मेले का एक प्रमुख आकर्षण मां नंदा-सुनंदा की मूर्तियों का निर्माण है, जो कदली (केले) के वृक्षों से होता है। इस बार ये वृक्ष रैलाकोट दुला गांव से लाए जाएंगे। 29 अगस्त को मंदिर समिति और स्थानीय लोग मिलकर इन वृक्षों को विधिपूर्वक निमंत्रण देंगे।



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